समाज की विशेषताएं या प्रकृति 2
समाज में संघर्ष पाया जाता है
समाज अमूर्त होता है
समाज में सहयोग की भावना पाई जाती है
समाज में समानताएं पाई जाती हैं
समाज में विभिन्नता पाई जाती हैं
समाज सामाजिक संबंधों का एक जाल है
समाज में संघर्ष की भावना पाई जाती है
समाज में विभिन्न संस्कृतिय पाई जाती हैं
समाज में निर्भरता या आश्रिता का गुण पाया जाता है
समाज में एक दूसरे के प्रति जागरूकता पाई जाती है
समाज सामाजिक संबंधों की एक व्यवस्था है इस व्यवस्था के रूप में समाज की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया जा सकता है --
1-समाज में समानता भी होती है समानता समाज का अनिवार्य तत्व है समाज का निर्माण मनुष्य के संबंधों के आधार पर होता है जो कुछ अवस्थाओं में समान दृष्टिकोण रखते हो समानता की भावना ही समाज का विकास करती है अब चाहे यह समानता मानसिक रूप से हो या शारीरिक रूप से लेकिन यह समानता समाज में पाई जाती है
2-समाज में विभिनता भी होती है क्योंकि यदि किसी समाज का विकास करना है तो उसमें रहने वाले लोगों के मध्य विभिनता आएं होना अति आवश्यक है लिंगभेद में विभिनता होने के कारण ही समाज में प्रजनन की क्रिया संभव हो पाती है लोगों में रूचियो का अलग होना, आवश्यकताओं का अलग अलग होना, लोगों की शारीरिक बनावट में विभिन्नता होना के कारण नाटे कद एवं ऊंचे कद के लोगों का होना, उनकी योग्यता में विभिनता होना के कारण उन्हें छोटे एवं बड़े कार्य की जिम्मेदारी देना उच्च एवं निम्न पद पर कार्य करना , विभिन्न आर्थिक क्रियाओं के द्वारा विकसित अर्थव्यवस्था का निर्माण होता है
3-समाज में सहयोग होता है सहयोग के बिना कोई भी समाज जीवित नहीं रह सकता यदि लोग सहयोग नहीं करेंगे तो उनका जीवन सुखमय नहीं व्यतीत होगा एक परिवार के लोगआनंदपूर्ण एवं सुखद जीवन व्यतीत करने के लिए एक दूसरे का सहयोग करते हैं व्यक्ति आत्म संतुष्टि के लिए विभिन्न लोगों की सेवा करते हैं कार्यस्थल पर व्यक्ति एक दूसरे के सहयोग से ही विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण राष्ट्र के विकास के लिए कर पाते हैं व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं खुश रहने के लिए एक दूसरे का सहयोग करते हैं
4-समाज में संघर्ष पाया जाता है जिस समाज में संघर्ष नहीं होगा वह समाज विकास नहीं कर पाएगा जैसे क्रिकेट की टीम को ले लीजिए दोनों टीम जीतने के लिए एक दूसरे के प्रति संघर्ष करती हैं व्यक्ति रोजगार प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं को पास करने के लिए संघर्ष करता है कोई कंपनी बाजार में अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए संघर्ष करती है संघर्ष प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष होता है प्रत्यक्ष संघर्ष व्यक्तिगत होता है अप्रत्यक्ष संघर्ष मैं व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के हितों में बाधा डालकर अपने हितों की पूर्ति करने का प्रयास करता है बाजार में नए उत्पाद उतारकर प्रतिस्पर्धा के द्वारा एकाधिकार स्थापित करना अप्रत्यक्ष संघर्ष का उदाहरण है सीमा पर जवान सीमा की रक्षा करने के लिए दिन और रात संघर्ष करता है
किसान अपने खेत में अच्छी फसल उगाने के लिए संघर्ष करता है परिवार का मुखिया अपने परिवार का लालन-पालन करने के लिए संघर्ष करता है समाज में संघर्ष एक प्रमुख विशेषता है
5-समाज में निर्भरता का का नियम होता है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है उसको अपना जीवन व्यापन करने के लिए विभिन्न प्रकार की आवश्यकताएं होती हैं इन आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए व्यक्ति एक दूसरे पर आश्रित रहता है मानव को सामाजिक सांस्कृतिक एवं प्राणी शास्त्रीय आवश्यकताएं उसे सामाजिक प्राणी बनाने के लिए बाध्य करती हैं व्यक्ति की यह आवश्यकताएं एक दूसरे के बिना कभी पूर्ण नहीं हो सकती हैं समाज सामाजिक संबंधों का जाल है संबंधों का आधार ही एक दूसरे पर निर्भरता है हम जब एक दूसरे पर जितने अधिक निर्भर होंगे हमारे बीच के संबंध उतने ही मजबूत और दृढ़ होंगे इसलिए हम कह सकते हैं कि समाज में निर्भरता का गुण पाया जाता है
6-समाज में पारस्परिक जागरूकता होती है सामाजिक संबंध तभी स्थापित हो सकते हैं जब उन्हें एक दूसरे की सत्ता का आभास हो जब दो व्यक्ति एक दूसरे के नजदीक आते हैं तो उन्हें एक दूसरे की सत्ता का आभास होता है ऐसी स्थिति में वह एक दूसरे को प्रभावित करते हैं भाई बहन का संबंध, पति पत्नी का संबंध ,नौकर मालिक का संबंध छात्र शिक्षक का संबंध, किराएदार और मालिक का संबंध ,दो मित्रों का संबंध यह सभी संबंध सामाजिक संबंध है और इन संबंधों में पारस्परिक जागरूकता पाई जाती है हम कह सकते हैं कि समाज में पारस्परिक जागरूकता पाई जाती है
7- समाज अमूर्त है अमूर्त का अर्थ जिसको मैं तो देखा जा सके और नहीं छुआ जा सके केवल उसे अनुभव या महसूस किया जा सके उसे अमूर्त कहते हैं क्योंकि समाज में व्यक्तियों के बीच जो संबंध होते हैं जैसे छात्र शिक्षक का संबंध ,दो मित्रों का संबंध भाई भाई का संबंध, बहन भाई का संबंध ,पति पत्नी का संबंध इस प्रकार के संबंधों को केवल महसूस किया जा सकता है हम कह सकते हैं कि समाज अमूर्त होता है
8-समाज में समूह और विभाग होते हैं जैसे गांव कस्बा नगर शहर जिला परिवार तहसील मोहल्ले वार्ड पड़ोस राष्ट्र आदि सभी समाज के ही उपखंड हैं आपस में यह सब संबंधित होकर समाज का निर्माण करते है इन सब की अपनी अलग अलग आवश्यकताएं होती हैं इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए यह एक दूसरे से संबंधित होते हैं कह सकते हैं कि समाज में उपखंड जैसे गुण भी पाए जाते हैं
9-समाज में सामाजिक संबंधों की व्यवस्था होती है संबंध दो प्रकार के होते हैं भौतिक संबंध एवं सामाजिक संबंध भौतिक संबंध से हमारा तात्पर्य ऐसे संबंधों से है जिसमें एक दूसरे के प्रति कोई जागरूक न हो अर्थात एक दूसरे की उपस्थिति का एक दूसरे को ज्ञान में हो जैसे किसी लोटे में पानी होने पर पानी को न तो लोटे का ज्ञान हो और नहीं लौटे को पानी का ,मेज पर रखी पुस्तक को मेज की उपस्थिति का ज्ञान होता है और ना ही मेज को यह ज्ञान होता है कि पुस्तक उसके ऊपर रखी है जब किसी को एक दूसरे की स्थिति का आभास ने हो तो इस प्रकार के संबंध को भौतिक संबंध कहते हैं जागरूक संबंधों को सामाजिक संबंध कहते हैं जब एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की स्थिति का आभास होता है ज्ञान होता है जैसे पति पत्नी ,पिता-पुत्र, माता पुत्री, भाई भाई, भाई बहन के संबंधों का एक दूसरे को ज्ञान होता है तो ऐसे संबंधों को सामाजिक संबंध कहते हैं
10-समाज में विभिन्न संस्कृतियों होती हैं क्योंकि समाज की अपनी वेश भूषा ,खान-पान ,पहनावा, जाति धर्म विवाह जिसके कारण लोगों में विभिन्न प्रकार के संबंध पाए जाते हैं,
11- समाज में लोगों की सदस्यता स्वैच्छिक होती है 12-समाज में लोगों के मध्य स्वार्थ एवं हित की भावना होती है
13-समाज में एकता की भावना होती है
14- समाज में मानव के व्यवहार को नियंत्रित करने के नियम एवं सिद्धांतों की व्यवस्था होती है
15- समाज में परिवर्तन शीलता का गुण पाया जाता है समाज में रहने वाले लोगों की आवश्यकताएं उनके उद्देश्य निरंतर परिवर्तित होते रहते हैं वह नित नए आविष्कारों के द्वारा नए सिद्धांत नए नियमों का निर्माण करते हैं जिससे समय जिससे समाज की संरचना में लगातार परिवर्तन होता रहता है
मैकाइवर तथा पेज के अनुसार समाज के प्रमुख आधार -----
1-कार्यप्रणाली
2-अधिकार
3-आपसी सहयोग
4-स्वतंत्रता
5-मानव व्यवहार पर नियंत्रण
6-समूह तथा विभाग
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