गणित को भयमुक्त कैसे बनाया जाए?
अधिकतर बच्चे गणित की पढ़ाई से मन चुराते हैं| जिसके कारण वह गणित के पीरियड्स को भी गोल करने लगते हैं |जिसके कारण वह गणित का होमवर्क भी समय पर नहीं दिखा पाते हैं |यदि दिखाते भी है तो वह अन्य बच्चे की कॉपी लेकर उसमें से नकल करके दिखाते हैं| उनके लिए गणित काफी उबाऊ एवं अरुचिकर विषय है| लेकिन मेरा निजी अनुभव है गणित बहुत ही रुचिकर एवं खुशी प्रदान करने वाला विषय है| यदि कोई बच्चा एक बार गणित में रुचि लेने लगता है| गणित में रुचि रखने वाले बच्चों की एक और विशेष बात है कि उसको अन्य विषय बहुत ही सामान्य लगने लगते हैं |क्योंकि इसमें रटने की आवश्यकता नहीं होती है केवल समझने की आवश्यकता होती है और यह भी निश्चित है कि कक्षा दस तक गणित विषय प्रत्येक बच्चे को पढ़ना अनिवार्य है| गणित विषय का उपयोग हमारे दैनिक जीवन मैं प्रत्येक व्यवसाय, रोजमर्रा के कार्यों, प्रत्येक विषय ,राजनीति हो ,चाहे किसान हो ,चाहे मजदूर हो, चाहे कंडक्टर हो, चाहे मजदूर हो, चाहे रसोई का खर्च हो ,चाहे कोई खेल हो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में गणित का प्रयोग किया जाता है इस दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण है यदि गणित में निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखकर अध्ययन किया जाए तो बच्चे इसे सीखने में काफी रुचि लेंगे -
1. बुनियादी एवं मूल जानकारी का ज्ञान:- अक्सर वे बच्चे गणित से मन चुराते हैं या अपने आप को उबा महसूस करते हैं जिन बच्चों को गणित की छोटी-छोटी मूल जानकारी नहीं होती है जैसे जोड़, घटाव ,गुणा, भाग या बीजगणित जोड़, घटाव ,गुणा, भाग आदि नहीं आते हैं |वही बच्चे मन गणित से मन चुराते हैं जिनको अपनी पिछली कक्षा के गणित के बुनियादी जानकारी नहीं होती हैं| शिक्षक को सबसे पहले अपनी कक्षा में यह देखना चाहिए कि किन-किन बच्चों को गणित की मूल जानकारी नहीं है |यह चिन्हित करने के बाद सबसे पहले उन बच्चों को गणित के बेसिक कॉन्सेप्ट धीरे धीरे क्लियर कराने चाहिए| जैसे ही बच्चों को गणित की मूल जानकारियां होंगी बच्चे भी गणित में रूचि लेने लगेंगे| शिक्षक को भी बच्चों के बिना पूछे ही गणित की मूल जानकारियों का बच्चों को बार-बार अभ्यास कराते रहना चाहिए| देखने को यह मिलता है कि जब कक्षा में शिक्षक बच्चों से पूछता है कि आपकी समझ में आ गया तो बच्चे एक ही लमे कहते हैं कि हां गुरुजी समझ में आ गया है| छात्रों को भी शिक्षक से कोई डरने की जरूरत नहीं है |जब तक उनकी समझ में गणित नहीं आता है तब तक वह अपने शिक्षक से बिना डरे पूछते रहने चाहिए| अध्यापक को भी यदि सही मायने में प्रभावशाली शिक्षण करना है तो बच्चों को बिना डराए बार-बार पूछने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए| बच्चों को भी जब तक उनके बेसिक कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं होता है तब तक उन्हें सीखते रहने का प्रयास करते रहना चाहिए |जब बच्चों को बेसिक कॉन्सेप्ट सही से आने लगता है तो वह गणित में बहुत अधिक रूचि रखने लगते हैं | वह गणित के प्रश्नों को खेल-खेल में हल करने लगते हैं|
2. गणित के फार्मूले:- गणित के फार्मूले गणित की जान होते हैं इन्हें हमेशा याद रखने का प्रयास करना चाहिए कुछ बच्चों को देखा जाता है कि वह प्रत्येक अध्याय में प्रयोग होने वाले छोटे-छोटे गणित की मूल जानकारियों तथा सूत्रों का एक चार्ट बना कर अपने स्टडी रूम, क्लासरूम, लाइब्रेरी, विद्यालय कारी डोर, गणित लैब की दीवार पर लगा लेते हैं जिससे जब भी उनके पास खाली समय होता है |उनको वह दोहरा लेता है गणित में जिस बच्चे के जितने फार्मूले याद होते हैं| उसको गणित उतना ही आसान लगता है गणित जितना कठिन लगता है उससे कहीं अधिक आसान होता है| बस केवल शर्त यह है कि बच्चों को गणित के फार्मूले अधिक से अधिक याद होने चाहिए| गणित की जो समस्या आपको कठिन लग रही है उसका बार-बार अभ्यास करें अधिक प्रयोग होने वाले फार्मूले को आप अपने प्रत्येक नोटबुक के कवर पेज के ऊपर लिख सकते हैं| जिससे आप किसी भी विषय का काम करोगे तब भी उनको दोहरा कर याद रख सकते हो|
3. तरीके पर फोकस करें रटे नहीं:- समस्याओं को हल करते समय उनके तरीके को सीखें उनको रटने का प्रयास न करें समस्या किस तरीके से, किस विधि से हल हो रही है अधिक फोकस करना चाहिए |जो बच्चे समस्या को हल करते समय रटने का प्रयास नहीं करते हैं केवल उसके तरीके को सीखने का प्रयास करते हैं| उन्हें गणित की समस्याएं हल करते समय मनोरंजन का एहसास होता है |जो बच्चे समस्याओं को हल करते समय उन्हें रटने का प्रयास करते हैं उन्हें गणित उबाऊ एवं काफी कठिन लगता है | जिसके कारण वह गणित विषय से मन चुराने लगते हैं| इसलिए गणित को उबाऊ एवं कठिन विषय की पृष्ठभूमि से निकालने के लिए छात्रों तथा अध्यापकों को गणित की समस्याओं को हल करने के तरीके पर अधिक फोकस करना चाहिए|
4. होमवर्क कॉपी न करें:- गणित विषय में कभी भी छात्रों को दूसरे छात्र की होमवर्क कॉपी ने करें |यदि आप किसी दूसरे बच्चे कि होमवर्क की कॉपी करते हैं तो आपकी समझ में गणित की समस्याएं कैसे हल की गई हैं, वह समझ में नहीं आएगा| गणित में आप होमवर्क करते हैं वह स्वयं समस्याओं को समझ कर हल कर करना चाहिए| जिससे आप भविष्य में रिवीजन करते हैं तो आपकी होमवर्क की कॉपी आपकी रिवीजन में काफी मदद करती है| जो बच्चे दूसरे बच्चों की होमवर्क की कॉपी करते हैं अक्सर ऐसे ही बच्चे गणित विषय को उबाऊ एवं कठिन समझते हैं| इसलिए अभिभावकों एवं शिक्षक को इस प्रकार के बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए उन्हें गणित की जो बारीकियां होती हैं उन्हें समझाने का प्रयास करना चाहिए|
5. दैनिक जीवन में गणित के नियमों का प्रयोग:- रोजमर्रा के कार्यों में गणित के नियमों का प्रयोग करके गणित विषय को काफी रोचक बनाया जा सकता है जैसे प्रत्येक दिन घर में कितने रुपए खर्च हुए? महीने का खर्चा क्या है? महीने में प्रत्येक दिन का औसत खर्चा क्या है?प्रत्येक दिन में घर के प्रत्येक सदस्य का औसत खर्च क्या है?महीने में परिवार के सदस्यों की कुल आमदनी कितनी है ?कुल खर्चा कितना है? कुल बचत कितनी है?घर के कितने सदस्य खेतों पर कार्य करते हैं? एक दिन में कितना कार्य करते हैं? एक व्यक्ति का एक दिन का कार्य कितना है? घर पर जो सब्जी बनती है उसमें आलू, टमाटर, नमक ,तेल या अन्य पदार्थों का क्या अनुपात होता है? कक्षा में कितने बच्चे पास हुए? कितने बच्चे फेल हुए? फेल बच्चों का क्या प्रतिशत रहा? पास बच्चों का क्या प्रतिशत रहा? फेल तथा पास का क्या अनुपात है?घर में परिवार के सदस्यों में कितना कितना वजन है? घर के सदस्यों का औसत वजन कितना है? इस प्रकारके प्रश्नों का उत्तर छात्र तथा अभिभावकों को बच्चों से हल कराते रहना चाहिए| इससे बच्चे खेल खेल में गणित की बारीकियां सीख जाते हैं जिससे बच्चों का गणित के प्रति जो भय है वह दूर होता है और बच्चे गणित में रूचि लेने लगते हैं|
6. अधिक से अधिक पहाड़े याद करें:- जबसे केलकुलेटर का बच्चे प्रयोग करने लगे हैं तब से पहाड़े बच्चों के बहुत कम याद रहते हैं पहले प्रत्येक बच्चे को कम से कम 20 तक पहाड़े याद कराए जाते थे जिसका फायदा यह होता था कि वह बच्चे गणित की समस्याओं को जल्दी हल कर लेते थे आप दो बच्चे लीजिए एक को 20 तक के पहाड़े याद हैं और एक को 20 तक के पहाड़े याद नहीं है आप जब दोनों की तुलना करोगे तो आप पाओगे की जिस बच्चे के पहाड़े याद थे वह प्रश्नों को हल करने में अधिक रुचि ले रहा है इसलिए यदि आपको गणित के भय से मुक्त रहना है तो अधिक से अधिक पहाड़ों को याद करना ही पड़ेगा |पहाड़े याद करने के दो फायदे होते हैं |पहला फायदा यह है कि आप गणित की समस्याओं को तीव्र गति से हल कर पाओगे| दूसरा फायदा यह है कि आप गणित की समस्याओं को हल करने में रुचि लोगे |तीसरा फायदा यह है कि आप अपने में आत्मविश्वास का अनुभव महसूस करोगे और गणित को मनोरंजन के रूप में लोगे|
7. ग्रुप में गणित का अध्ययन करने का प्रयास करें:- गणित की समस्याओं को हल करने के विभिन्न तरीके होते हैं|आप ग्रुप में गणित का अध्ययन करोगे तो यदि आप पर गणित की कोई समस्या हल नहीं हो रही है तो निश्चित रूप से ग्रुप के किसी ना किसी सदस्य पर वह समस्या हल करने का कोई ना कोई तरीका अवश्य आता होगा|यदि आप किसी गणित की समस्या को कठिन तरीके से हल कर रहे हैं और आपका साथी उस समस्या को सरल तरीके से हल कर रहा है तो आप को ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से समस्याओं को हल करने के सरल तरीके सीखने में मदद मिलती है| जब आप किसी कठिन समस्या पर डिस्कशन करते हैं तो वह समस्या लंबे समय तक आपको याद रहती है और पुनः उसे सरल करने में आसानी होती है| ग्रुप में आप जिन समस्याओं को हल करते हैं |वह समस्याएं आपको अधिक दिनों तक याद रहती हैं और वह सरल भी लगने लगती हैं और एक जो गणित के प्रति आपका भय था वह भी खत्म होता है|
8. समस्याओं को कैटेगरी में बांटकर हल करें:- गणित में विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं उन समस्याओं की कैटेगरी बना ले अध्यापक को भी एक कैटागिरी के प्रशन एक बार में ही बच्चों को समझाने चाहिए इससे बच्चे की समझ में आ जाता है कि इस कैटेगरी के जितने भी प्रश्न आएंगे उन प्रश्नों को हल करने का यही तरीका होगा आप देखते हैं कि प्रत्येक अध्याय में प्रश्नों को हल करने के कुछ ही तरीके होते हैं अध्यापक को बच्चों को अध्याय प्रारंभ करते समय बता देना चाहिए कि इसमें कितनी कैटेगरी के प्रशन है प्रत्येक कैटेगरी का एक-एक प्रशन हल करके बच्चों को बता देना चाहिए| फिर बच्चों को उन कैटागिरी पर स्वय प्रश्न बनाकर हल करने के लिए देने चाहिए |इससे बच्चों में प्रश्नों का निर्माण करना तथा उन्हें हल करना आ जाता है | बच्चे गणित को एक मनोरंजन के रूप में लेने लगते हैं| वह प्रश्न को देखकर ही बता देते हैं कि इसको हल करने का क्या तरीका है? कैसे यह प्रशन हल होगा?
9. कठिन समस्याओं से भागे नहीं, उन्हें हल करें:- गणित में कुछ कठिन समस्याएं होती हैं जब बच्चे उन्हें हल करते हैं वह हल नहीं होती हैं तो बच्चे उन्हें छोड़ देते हैं तो यही वह स्थिति है जहां से गणित सीखना बच्चों को उबाऊ एवं कठिन लगने लगता है| अतः बच्चों को कठिन समस्याओं को तब तक हल करते रहना चाहिए जब तक वह उनके लिए सरल समस्या न हो जाए| कठिन समस्याओं से मन ने चुराए बल्कि उन्हें बार-बार हल करने का प्रयास करें| एक समय ऐसा आएगा कि कठिन समस्या आपको सरल लगने लगेगी|
10. अध्याय में प्रयोग होने वाली बुनियादी सूत्रों को सबसे पहले बताएं:- शिक्षक को अध्याय की समस्याओं को हल कराने से पहले जो उसने बुनियादी जरूरत की चीजें हैं| सबसे पहले बच्चों को वह बतानी एवं सिखानी चाहिए |फिर गणित की समस्याओं को हल कर आना चाहिए इससे बच्चे गणित की समस्याओं को सीखने में रुचि लेते हैं| तथा उनको उन समस्याओं में प्रयोग होने वाले बुनियादी सूत्रों का पहले से पता होने पर वह समस्याओं को सरलता से हल भी कर पाते हैं| इससे बच्चों के मन में जो गणित का भय है वह भी समाप्त होता है|
11. निरंतर अभ्यास:- गणित विषय जिन बच्चों को उबाऊ एवं कठिन लगता है आप उनसे एक प्रश्न कीजिए क्या आप गणित में निरंतर अभ्यास करते हैं ?तो उनका उत्तर नहीं में ही होगा तब आप उन्हें बताइए कि गणित एक ऐसा विषय है जिसमें आपको लगातार परिश्रम की आवश्यकता होती है |यदि आप गणित की समस्याओं को प्रत्येक दिन हल करते हैं| तो गणित आपका हो जाता है और यदि आप नित्य गणित की समस्याओं को हल नहीं करते हो तो निश्चित रूप से आपको गणित उबाऊ एवं कठिन लगेगा |जो बच्चे गणित की समस्याओं को निरंतर हल करते रहते हैं दिन में वह निश्चित कर लेते हैं कि कम से कम हमें एक दो घंटा गणित की पढ़ाई में ही लगाना है| गणित उन बच्चों के लिए मनोरंजन का विषय बन जाता है| अतः गणित में समस्याओं को निरंतर हल करते रहना चाहिए जब तक आप गणित से जुड़े हुए हो तब तक गणित आपका है जब आप गणित से हट जाओगे तो गणित आप से हट जाएगा|
12.स्वयं अध्ययन करें:- स्वयं पढ़ने की आदत का विकास करें क्योंकि जब आप किसी के कहने से पढ़ते हैं तो इतना प्रभावशाली नहीं होता है जितना प्रभावशाली जब आपके अंदर से पढ़ने की ललक लगती है तो वह अधिक प्रभावशाली होता है जब आपसे कोई पढ़ने के लिए बोलता है तो आप उस पढ़ाई को बोझिल समझ कर पढ़ते हो और जब आप स्वयं पढ़ने का प्रयास करते हो तो उस पढ़ाई को आप मनोरंजन के रूप में लेते हो|
13. जल्दी तथा आसानी से गुना करने के उपायों का ज्ञान:- गणित में गुना करने के बहुत ही तीव्र तरीके होते हैं उनका ज्ञान बच्चों को होना चाहिए
जैसे 62 और 11 की गुना
62*11
=6(6+2) 2
=682
A) 15*15
=1*2(5*5)
=225
B) 25*25
=2*3(5*5)
=625
C) 35*35
=3*4(5*5)
=1225
D) 45*45
=4*5(5*5)
=2025
14. समय का सदुपयोग:- यदि विद्यालय में आपका कोई फ्री पीरियड है तो ऐसे पीरियड में आपको गणित की कठिन समस्याओं को हल करने में उस समय का सदुपयोग करना चाहिए |आप देखते होंगे कि जब कक्षा का कोई फ्री पिजड़ होता है तो कुछ बच्चों को उस पीरियड में आप पढ़ते हुए देखते हो और कुछ बच्चों को मटरगश्ती करते हुए देखते हो| अतः जिन बच्चों को गणित कठिन एवं उबाऊ लगता है |उन बच्चों को आप फ्री पीरियड में गणित की कठिन समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित कर सकते हो|
15. गणित में होशियार बच्चे से दोस्ती करके:- यदि आपको गणित विषय कठिन एवं उबाऊ लगता है तो आप कक्षा में ऐसे बच्चों को चिन्हित करें जो गणित विषय में होशियार हैं तथा गणित में काफी रुचि रखते हैं| उन बच्चों से आप अपनी नजदीकी बढ़ाएं तथा उनसे गणित के बारे में चर्चा करें उनके सामने गणित की अपनी समस्याओं को रखें तथा उनसे बार-बार पूछने का प्रयास करें क्योंकि अधिकतर बच्चे अपने टीचर से पूछने में डरते हैं की टीचर क्या कहेगा ?तथा अपने साथी से पूछने में उसे झिझक नहीं होती है| तथा वह साथी से छोटी से छोटी बात भी पूछ सकता है जिसे अध्यापक से पूछने में उसे डर लगता है| गणित में होशियार बच्चों से दोस्ती कर कर भी आप अपने गणित के भय को दूर कर सकते हो|
16. गणित के टीचर का स्वभाव सरल होना चाहिए:-
अक्सर देखने को मिलता है कि जो बच्चे गणित से मन चुराते हैं अधिकतर वह गणित के टीचर से बहुत डरते हैं| पहले तो गए गणित के टीचर से कुछ पूछता नहीं है यदि वह पूछ भी लेता है तो गणित के अध्यापक का अधिकतर जवाब यह होता है क्या तुझ पर इतनी छोटी सी चीज भी नहीं आती ?तुम्हारा कुछ भी नहीं हो सकता |यह तो इससे कई क्लास पीछे भी आपने पढ़ रखा है| भविष्य में वह बच्चा अपनी छोटी सी समस्या को भी अध्यापक से नहीं पूछ पाता है| अतः अध्यापक को अपना स्वभाव सरल रखना चाहिए जो बच्चा उससे पूछ रहा है उसका जवाब उसे सकारात्मक देना चाहिए|
यदि उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखकर गणित विषय का पठन-पाठन किया जाता है तो बच्चों के दिमाग में गणित विषय की जो कठिन उबाऊ की इमेज है वह इमेज बच्चों के दिमाग में गणित के प्रति रुचिकर विषय, सरल विषय, मनोरंजन विषय, भय मुक्त विषय के रूप की बन पाएगी|
Comments
Post a Comment