वर्तमान परिदृश्य में क्या शिक्षा के मायने बदल रहे हैं?

भारत को भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों के लिए विश्व में विश्व गुरु माना जाता है| भारतीय मूल्य की चर्चा विदेशों में होती है विश्व को योग दिवस भारत की ही देन है| भारत में मात पिता को ईश्वर से भी ऊपर रखा गया है| यह वह धरा है जिसने राम जैसे मातृ भक्त पैदा किए हैं श्रवण जैसे पुत्रों को जन्म दिया है| इस धरा ने महात्मा गांधी ,सुभाष चंद्र बोस ,भगत सिंह ,भीमराव अंबेडकर, स्वामी विवेकानंद ,स्वामी दयानंद ,सावरकर, अब्दुल कलाम, अब्दुल हमीद ,नरेंद्र मोदी जैसे देशभक्तों को जन्म दिया है| जहां पर पशु पक्षियों ,पेड़ पौधों और प्राकृतिक संसाधनों को पूजा जाता है| यहां की संस्कृति तथा मूल्यों को जानने के लिए विदेशों से तक्षशिला तथा नालंदा विश्वविद्यालय में हजारों लाखों की संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे| जहां पर वृद्धा आश्रम जैसे नाम की कोई संस्था नहीं होती थी| ईमानदारी निष्ठा कर्तव्यनिष्ठा यहां की रग-रग में बहती थी|जहां पर भारतीय संस्कृति की शिक्षा ग्रहण करने छात्र गुरुकुल ओं में जाया करते थे|शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्र निर्माण होता था|यह वह देश है जहां पर पूरे विश्व को  एक परिवार तथा अतिथि को भगवान के रुप में मानने की शिक्षा दी जाती थी |जहां पर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है सब भाई भाई की शिक्षा का मंत्र दिया जाता था|भारत मुसलमानों तथा अंग्रेजों का काफी दिनों तक गुलाम रहने के बावजूद भी यहां की संस्कृति मैं कोई विशेष परिवर्तन नहीं हो पाया था|जैसे जैसे देश में तकनीकी बढ़ रही है वैसे वैसे लगता है कि क्या शिक्षा के उद्देश्य बदले हैं?क्या लोगों पर सामूहिकता के स्थान पर व्यक्ति निष्ठता अधिक हावी हुई है? क्या आपको लगता है कि वर्तमान में शिक्षा के मायने बदले हैं?क्या शिक्षा चरित्र निर्माण कर पा रही है? क्या शिक्षा सामाजिक मूल्य का छात्रों में निर्माण कर पा रही है? कभी आपने सोचा है इसका क्या कारण है? देश के ही अंदर से देशद्रोह की आवाज आ रही है| छोटी-छोटी बच्चियों के साथ आए दिन घिनौनी हरकतें हो रही हैं| देश के कोने कोने से शिक्षकों के साथ मारपीट की घटनाएं आ रही हैं| भाई भाई के खून का प्यासा हो रहा है| देश में बड़े बड़े घोटाले हो रहे हैं |खेलों में मैचों की फिक्सिंग हो रही है |देश के कोने कोने से आत्महत्या करने की खबरें आ रही हैं| देश में लोगों के बीच धन संग्रह करने की होड़ लगी हुई है| धन के लालच में लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं| लोग संपूर्ण परिवार के साथ रहते हुए भी अपने आप को अकेला महसूस कर रहे हैं| पिता का अपनी पुत्री के साथ संबंध बनाने की देश के कोने कोने  से खबरें आ रही हैं |लोग अपने फायदे के लिए प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं| किसान देश में आत्महत्या कर रहे हैं देश के कोने कोने में वृद्धा आश्रम खोले जा रहे हैं मुंबई की घटना तो रोंगटे खड़े कर देती है कि जब दस 12 करोड़ की बंगले में एक 70 से 80 वर्ष की वृद्धा का शव 6 महीने तक पड़ा रहता है और कंकाल बन जाता है उसके आसपास रहने वाले लोगों को उसकी भनक तक नहीं पड़ती है| आप समझ सकते हो कि क्या लोगों की संवेदनाएं मर चुकी हैं?उच्च शिक्षा ग्रहण कर उसका एकलौता बेटा विदेश में रहकर धन संग्रह की दौड़ में इतना अंधा हो जाता है कि वह 6 महीने तक अपनी बूढ़ी मां का फोन पर हाल भी नहीं ले पाता है| इससे लगता है कि शिक्षा,  धन दौलत तथा पद प्रतिष्ठा की झूठी दौड़ में संस्कार पिछड़ रही हैं|

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