मधुशाला भारी पड़ी कोरोना काल में पाठशाला,गौशाला,धर्मशाला पर

समूचा भारत कोरोना संक्रमण काल से गुजर रहा है अर्थव्यवस्था सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण समूचे भारत में गौशालाओं की स्थिति कितनी बुरी है शायद किसी से छुपी हो गौशालाओं में गायों के चारे के लिए देश में दानदाताओं का पहले से ही अकाल पड़ा हुआ था रही सही कसर कोरोना संक्रमण काल में लगे लॉकडाउन ने निकाल दी एक दिन एक गौशाला के संचालक से वार्ता करने का मौका मिला उन्होंने बताया कि लॉक डाउन में मुश्किल से पहले का 5% गौशाला में गायों के चारे के लिए दान मिल रहा है गौशालाओं में गायों की स्थिति  काफी दयनीय है शासन प्रशासन तथा बुद्धिजीवी दानदाताओं समाजसेवियों को इस तरफ ध्यान देने की  बहुत आवश्यकता है दूसरी तरफ मधुशाला से शराब खरीदने के लिए लोगों के पास अपार धन आ रहा है, लोगों की लंबी लंबी लाइनें लगी हुई हैं पुलिस प्रशासन को कंट्रोल करने के लिए लगाया गया है कहीं तो ऐसा देखा गया है कि शराब की दुकान खुली नहीं है और कई घंटे पहले लोगों ने आकर लाइने लगा ली हैं इतनी लंबी लंबी लाइनें तो राशन की दुकानों पर भी नहीं देखी गई हैं पाठशाला में जब बच्चों की फीस की बात आती है तो इन्हीं लोगों के पास कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है फीस माफ करने के लिए सर पर ढोल रखकर शासन तथा प्रशासन से विद्यालय संचालकों पर दबाव बनाया जा रहा है ऐसे दोगले पन से हम अपने बच्चों के भविष्य एवं भारतीय सभ्यता संस्कृति से खिलवाड़ कर रही हैं मधुशाला में पैसे लुटाने के लिए इनकी अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाती है जब पाठशाला,गौशाला तथा धर्मशाला की  बात आती है तो इन्हें दो वक्त के खाने के लाले पड़ जाते हैं,क्या ऐसे दोगले पन से हम कोरोना संक्रमण या किसी अन्य समस्या से लड़ सकते हैं?क्या यही हमें हमारे बड़े बुजुर्गों के संस्कार हैं?क्या भारतीय सभ्यता संस्कृति यही है?क्या ऐसी दोगली मानसिकता से विश्व में भारत का डंका बजाया जा सकता है?ऐसे संकट के समय में हमें अपने अधिकारों की बात ना करके कर्तव्य की बात करते हैं तो निश्चित रूप से हम कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते हैं प्रशासन तथा सरकार अवगत करा रही है कोरोना संक्रमण जल्दी खत्म होने वाला नहीं है मास्क तथा सामाजिक दूरी का ईमानदारी के साथ प्रयोग कर सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाना होगा बुद्धिजीवी,समाजसेवी,दानदाताओं,प्रशासन से मेरी विनम्र प्रार्थना है की पाठशालाओं के संचालकों से चिंतन मनन कर इन्हें सुचारू रूप से चलाने का प्रयास करें इनका मनोबल एवं उत्साहवर्धन बढ़ाएं क्योंकि पाठशालाओं में भारत के भविष्य का निर्माण होता है,  गौशाला,धर्मशाला तथा अपने आसपास जरूरतमंद लोगों अधिक से अधिक मदद  करने का प्रयास करें तभी कोरोना को हराकर पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति सभ्यता और अनुशासन का परचम लहरा सकते हैं!

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