महिला पर कविता

सहनशीलता का सागर हूं मैं,,,,,,
सब की आशा हूं मैं,,,,,,,,
जगत की जननी हूं मैं,,,,,,,
बच्चों की प्रथम पाठशाला हूं मैं,,,,,,
फिर भी दहेज की प्रताड़ना से,,,,,
नित्य मरती और संभलती हूं मैं,,,,,,,,,,
घर कुनबा की नाक हूं मैं ,,,,,,,,,,
अनुशासन की देवी हूं मैं, ,,,,,,,, 
घर की मालकिन हूं मैं, ,,,,,,,,,,,
कुल आबादी का आधा हिस्सा हूं मैं, ,,,,,,,,,,,
फिर भी अपने मात-पिता पर बोझ हूं मैं, ,,,,,,,,
क्योंकि पराया धन हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,,
सब्र की देवी हूं मैं, ,,,,,,,,,,,
त्याग की मूर्ति हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,,,
घर की रौनक हूं मैं, ,,,,,,,,,,,
सुंदरता का गहना हूं मैं, ,,,,,,,,,,
फिर भी रोज बलात्कार सहती हूं मैं, ,,,,,,,,,,
क्योंकि एक महिला हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,,,,
हौसलों का प्रति पुंज हूं मैं, , ,,,,,,,,,
प्रेम का सागर हूं मैं, ,,,,,,,,,,,
पूजने के लिए कन्या हूं मैं,,,,,,,,,,
शिक्षा की सरस्वती देवी हूं मैं, ,,,,,,,,,
फिर भी रोज खरीदी बेची जाती हूं मैं, ,,,,,,,,,
क्योंकि एक वस्तु के समान हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,,
कुल दीपक को जलाने वाली हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,
घर की चिंता करने वाली हूं मैं, ,,,,,,,
पापा की सबसे प्यारी दुलारी हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,
धैर्य एवं साहस का उदाहरण हूं मैं, ,,,,,,,,,,,
फिर भी रोज शोषित होती हूं मैं,,,,,,,,,,,
क्योंकि एक महिला हूं मैं, ,,,,,,,,,,,,,,,
डॉक्टर देवेंद्र कुमार नागर
ग्रेटर नोएडा

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