नेताजी पर कविता
नेता जी है हम,,,,,,,,
लेता जी भी हैं हम,,,,,,,
वोट नोट लेता है हम,,,,,,
काम-धाम न आते हैं हम,,,,,
भाषण देता है हम,,,,,,,,
आश्वासन देता है हम,,,,,,
क्योंकि हम नेताजी हैं,,,,,,,,,
नौकरी चाकरी न देता हैं हम,,,,,,
आम आदमी को धोखा देता है हम,,,,,,
सरकारी खजाने को खाते है हम, ,,,,,
बंदर बांटा कर खाते हैं हम , ,,,,,,,,,,,
क्योंकि हम नेताजी हैं, ,,,,,,,,,,,,,
चुनाव के समय दर्शन देता है हम, ,,,,,,,
फिर रफूचक्कर हो जाते हैं हम,,,,,,
आम आदमी को चक्कर कटवाते हैं हम,,,,,,
काम किसी के न आते हैं हम, ,,,,,,,,,,,,
क्योंकि हम नेताजी हैं, ,,,,,,,,,,,,,
कायदे कानूनों को जेब मैं रखते हैं हम,,,,,,,,,,
लोगों को आगे पीछे घूम आते हैं हम, ,,,,,,,,,,,
लोगों से चापलूसी करवाते हैं हम, ,,,,,,,,,,,
पैसे लेकर ट्रांसफर करवाते हैं हम, ,,,,,,,,,,,
क्योंकि हम नेताजी हैं, ,,,,,,,,,
बड़े-बड़े बंगले गाड़ी रखते हैं हम, ,,,,,,
नित्य नये घोटाले करते हैं हम, ,,,,,,,,,,,
सरकारी कर्मचारियों को न पेंशन देते हैं हम,,,,,,,,
स्वयं कई कई पेंशन लेते हैं हम,,,,,,,,,,,
क्योंकि हम नेताजी हैं, ,,,,,,,,,,,
जाति धर्म पर लड़ाते हैं हम, ,,,,,,,
चुनाव में उसका फायदा उठाते हैं हम, ,,,,,,,,,
सांसद,विधायकों की खरीद-फरोख्त करते हैं हम,,,,,,
फिर सरकार बनाते हैं हम, ,,,,,,,,,,,
क्योंकि हम नेताजी हैं,,,,,,,,,,,,,
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