किसान का दुख

धरती को चीर कर जो ,,,,,,
अन उगाता है ,,,,,,,
मैं वह किसान हूं,,,,,,,,,,
दिन रात पसीने बहा कर,,,,,,,,
सपनों के महल बना कर,,,,,,,,
जीडीपी में मेरा बड़ा योगदान ,,,,,,,,,
मैं वह किसान हूं,,,,,,,,,,
पूरे वर्ष मेहनत करने के बाद ,,,,,,,,,
हिस्से में आती आत्महत्या है,,,,,,
मैं वह किसान हूं,,,,,,,,,,,
दुर्भाग्य देखिए मेरा, ,,,,,,
सबसे अधिक शोषित में ही हूं, ,,,,,,,
क्योंकि मैं अन्नदाता भी हूं,,,,,,,
हर भाषण,लाभकारी नीति मै,,,,,,
मेरी परिचर्चा होती है,,,,,,,,,,
कागजों मैं सिमट कर रह जाती है, ,,,,,,,,
मैं वह किसान हूं, ,,,,,,,,,,,,,
मेरे नाम को लेकर ,,,,,,,,,
सरकारें उलट-पुलट हो जाती हैं,,,,,,,,
कितनों के घर चूल्हे चलते हैं,,,,,,,,
लेकिन मेरा चूल्हा कर्ज से चलता है,,,,,,,,
मैं वह किसान हूं, ,,,,,,,,
देश में सबसे कम मजदूरी,,,,,,,,
लेने वाला मजबूर हूं,,,,,,,
मौसम की मार खाकर, ,,,,,,,,,
सरकार की मार भी खाता हूं, ,,,,
मैं वह किसान हूं,,,,,,,,,,
नंगा भूखा रहकर, ,,,,,,,
कोशिश यही रहती है, ,,,,,
देश में कोई भूखा न रहे ,,,,,,,,,,
रात में सपने देखना,,,,,,,,,
दिन में फिर उसे चूर चूर होते देखना, ,,,,,
मैं वही किसान हूं, ,,,,,,,,,,,
बीज खाद पानी बिजली ,,,,,,,,,,
दूसरों की शर्तो पर महंगे लेकर, ,,,,,,,,
दिन रात मेहनत करके, ,,,,,,,,,
उगी हुई अपनी फसल को,,,,,,,,,
दूसरों की शर्तों पर मंदी देता हूं ,,,,,,,,,,
मैं वही किसान हूं, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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