पानी का मूल्य कविता

पानी का मूल्य न समझने वालों
समय रहते संभल जाओ
यूं ही बेवजह मत बाहों
पानी को मिलो तक
पानी का मूल्य
पूछो रेगिस्तान के बाशिंदों से
बूंद बूंद के लिए भटकते हैं मिलो तक
पानी का मूल्य
पूछो उन राहगीरों से
जो तपती धूप में नंगे पैरों
सफर करते हैं मिलों का
पानी का मूल्य
पूछो स्लम बस्तियों के बाशिंदों से
बूंद बूंद के लिए घंटों
लगे रहते हैं मिलों लाइनों में
पानी का मूल्य
पूछो ट्रेन ,बस की सवारियों से
जो खरीद कर बंद बोतल पानी
दूरी तय करते हैं मिलों की
पानी का मूल्य
पूछो उस महिला से
जो तपती धूप में घड़े सिर पर रखकर
पानी लाती है मिलो से
पानी का मूल्य
पूछो उन किसानों से
कर्ज से बुवाई कर ,तैयार फसलों को
तपती धूप में झुलसते हुए
देखता है मिलों तक
पानी का मूल्य
पूछो शहर के निवासियों से
पानी की सप्लाई अवरुद्ध होने पर
एक दिन लगता है मिलों सा
पानी का मूल्य
पूछो उन बेजुबान परिंदों से
जो तपती टीक दुपहरी में
बूंद बूंद पानी के लिए
भटकते हैं मिलों तक
टोटी,समर्सिबल से बेवजह पानी बहाने वालों
समय रहते चेत जाओ ,नहीं तो
एक दिन तुम भी भटको गे
बूंद बूंद पानी के लिए मिलो तक
डॉक्टर देवेंद्र कुमार नागर
ग्रेटर नोएडा

Comments

Popular posts from this blog

भारत में समाजशास्त्र का उद्भव एवं विकास( Growth and Development of sociology in India)

प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षक की भूमिका

समाजशास्त्र का क्षेत्र (scope of sociology) 11