तालाब पर कविता
तालाबों की कर रखी है
कलयुग में दुर्दशा देखो भैया
जो भरे रहते थे कभी पानी से
अब भरे हैं जलकुंभी से देखो भैया
बूंद बूंद पानी के थे कभी जो स्रोत
बन गए हैं अब कूड़े के स्रोत देखो भैया
कैसा था समय तालाबों का निर्माण
गौरव की बात होती थी
आज तालाबों में भवन निर्माण
गौरव की बात हो रही है देखो भैया
गिरते जल स्तर को सुधारना है तो
मानसिक स्तर में बदलाव कर लोगों के
तालाबों के स्तर में सुधार को देखो भैया
कागजों में सौंदर्यीकरण के खेल को बंद कर
धरातल पर ला कर देखो भैया
भूमंडल की जान है यह
एक बार बचा कर इनको देखो भैया
पूर्वजों की धरोहर है यह
ऐसे उजड़ ते मत देखो भैया
जो पूजे जाते थे कभी
लुटे जा रहे हैं अब देखो भैया
नहीं सुधार किया यदि तालाबों के स्तर में
तो तरसोगे बूंद पानी को देखो भैया
बचानी है जिंदगी पृथ्वी पर जीवो की
पृथ्वी पर बचालो तालाबों को देखो भैया
Comments
Post a Comment