यह कैसा सुशासन है

यह कैसा सुशासन है
बेटियां घर में डरी,सहमी बैठी हैं
दरिंदगी खुले में इठलाती है
चोर लुटेरे पुलिस स्टेशनों पर
कब्जा जमाए बैठे हैं
तभी तो इतना साहस है
आठ आठ पुलिस वालों को
क्षण में देते है बैठा

यह कैसा सुशासन है
किसान पसीनो से सीचकर
फसल को तैयार करता है
एसी में नेताजी बैठकर
फसल का भाव तय करता है
गरीब मजबूर भूखा प्यासा
रोड़ों पर बैठा है

यह कैसा सुशासन है
अपहरण,लूट हत्या
करने वाले चैन से बैठे हैं
देश के लिए शहीद हुए
सपूतों के घरवाले
दर-दर की ठोकरें खाकर
इंसाफ के लिए बैठे हैं
आम आदमी की समस्या को
ने सुनने को तैयार हैं
सरकारी सीटों पर जो बैठे हैं

यह कैसा सुशासन है
सच्चाई को उजागर करने वाले
पत्रकारों की दिनदहाड़े हत्या कर
हत्यारे चैन से बैठे हैं
शोषित इंसाफ के लिए
सड़कों पर बैठा है
चाटुकार घूसखोर बेईमान
मलाई मार कर बैठे हैं
गरीब मजदूर अपनी मजदूरी को
धरने पर बैठे हैं

यह कैसा सुशासन है
परीक्षाओं के होने से पहले
नक्कारे और मक्कारे
प्रश्न पत्रों को घर में खोले बैठे हैं
मेहनती इंसाफ के लिए
न्यायालयों मैं फरियाद लिए बैठे हैं
न्यायालयों में भी अधिकतर नक्कारे और मक्कारो के
सुनने वाले बैठे हैं
थक हार कर फरियादी
आत्महत्या करने को बैठे हैं

Comments

Popular posts from this blog

भारत में समाजशास्त्र का उद्भव एवं विकास( Growth and Development of sociology in India)

प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षक की भूमिका

समाजशास्त्र का क्षेत्र (scope of sociology) 11