जनसंख्या वृद्धि पर कविता
जनसंख्या वृद्धि का कमाल देखो
बेरोजगारी का बढ़ता आलम देखो
बेरोजगार भटक रहे हैं
भूखे प्यासे नंगे रोड़ों पर
ऐसे ही भटकते रहोगे पैदल रोड़ों पर
देख लिया है हम दर्दों को
कोरोना के कालचक्र में
एक केला देने वाले दस थे
बस स्टॉप लगा दो जनसंख्या पर
वोटों के हमदर्द तो चाहते हैं
आगे भी भट को तुम रोडो पर
फिर नए नए राहत पैकेज लाएंगे
चटपट मिलकर उसको कर जाएंगे
कर दो जनसंख्या को नियंत्रित तुम
नहीं तो निरंतर भूखे प्यासे
भटकने के लिए रोड़ों पर तैयार रहो तुम
सुनने वाला कोई नहीं है वोटों के गलियारों में
हमें स्वयं जागरूक होकर
अपने एवं राष्ट्र के हित में
जनसंख्या नियंत्रण कानून बनवा कर
अपने घर में खुशहाली लाना
हौसलों को रख कर जिंदा
कोरोना के कालचक्र में अपनों को भी रखना है जिंदा
यदि जिंदा रहना है तो
जनसंख्या वृद्धि की कर दो निंदा
सभी समस्याओं की वृद्धि का कारण है
जनसंख्या की वृद्धि
आओ मिलकर सलमा शिमला परण करें
पालन करेंगे परिवार नियोजन का
जिससे भटके ने भूखे प्यासे रोड़ों पर अपने
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