बचपन की धुंधली सी यादें
बचपन की वो धुंधली सी यादें
वो झूठे बोलकर क्लास से बंक मारना
वो गुल्ली डंडा,वो क्रिकेट,वो छुआ छुयी खेलना
वो घर पर मम्मी पापा से डांट खाना
वो दादा दादी की गोद में छुप जाना
वो क्लास में दोस्त के लिए सीट छूना
वो काम न होने पर नए-नए टीचर से बहाने बनाना
वो चोर सिपाई,वो गुल्ली डंडा,वो कंचे खेलना
वो नाना नानी,वो दादा दादी से रात को कहानी सुन्ना
बचपन की वो धुंधली सी यादें
वो दीपक,वो लैंप से रात को पढ़ना
वो कैची की साईकिल,वो लड्डू घुमाना
वो तख्ती पर खड़िया से लिखना
वो छुट्टी से पहले पहाड़ों को दोहराना
वो धूप में नहर में नहाकर मिट्टी में लेटना
वो तितलियों,चिड़ियों,बुलबुल के पीछे भागना
वो मिट्टी के टीले पर पहुंचना
वो मिट्टी के घर बनाना फिर उन्हें बिगाड़ना
बचपन की धुंधली सी यादें
वो मेलों के इंतजार में दिनों को गिनना
वो दस बीस पैसे के लिए मम्मी पापा से झगड़ना
वो रेल,ट्रक ,गाड़ी,खिलौने खरीदना
तब खुशी का न था कोई ठिकाना
वो स्कूल में टाट पट्टी बोरी पर बैठना
वो खेतों पर,वो कुकड़ी,जामुन,आम खाना
वो मम्मी पापा के बार बार कहने पर न जागना
वो गुड्डू और गुड़ियों की शादी कराना
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