उम्र कुछ भी हो

उम्र कुछ भी हो ,,,,,,,,,
पढ़ना पढ़ाना,सीखना सिखाना,
लिखते लिखाना न छोड़ना

धर्म कुछ भी हो,,,,,,,,
राष्ट्रधर्म,मानवधर्म
अच्छे कर्म करना न छोड़ना

काम कुछ भी हो,,,,,,,,,
ईमानदारी,विश्वास
कर्तव्यनिष्ठा को न छोड़ना

समय कैसा भी हो,,,,,,,,
अपनों को,सपनों को,अपनी जड़ों को,
मिट्टी से जुड़ाव को न छोड़ना

संबंध कैसे भी हो,,,,,,,
त्याग,समर्पण,विश्वास,लगाव
सहनशीलता को न छोड़ना

परीक्षा कैसी भी हो,,,,,,,,
कठिन परिश्रम,अनुशासन,निरंतरता
प्रेरणा,बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद को न छोड़ना

शरीर कैसा भी हो,,,,,,,,,
निरंतर योग व्यायाम,घूमना फिरना
शुद्ध शाकाहारी भोजन करना न छोड़ना

दोस्त कैसे भी हो, , ,,,,,,,
उनसे मिलना मिलाना,उनके साथ घूमना फिरना
उनके साथ हंसना बोलना,खेलना खिलाना न छोड़ना

Comments

Popular posts from this blog

भारत में समाजशास्त्र का उद्भव एवं विकास( Growth and Development of sociology in India)

प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षक की भूमिका

समाजशास्त्र का क्षेत्र (scope of sociology) 11