वह बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे,,,,,,
तन,मन प्रकृति को
कितना सुकून देती हैं
पकोडो के साथ चाय की चुस्की के लिए
मुंह में पानी लाती है
बारिश की बूंदे,,,,,,
जलमग्न कर रास्तों,खेत खलियानो को
शासन प्रशासन के कार्यों की
पल में पोल खोल देती है
किसान के लिए वरदान,अभिशाप
दोनों बन कर आती है
बारिश की बूंदे,,,,,,
रखे रंग-बिरंगे छातो को
चारों तरफ दिखलाती है
कागजों की नाव चलाकर
बच्चे भी खूब उधम मचाते हैं
बारिश की बूंदे,,,,,,,,,
पृथ्वी पर जब आती हैं
मोती की तरह लगती हैं
पशु पक्षि,जीव जंतु
चारों तरफ इठ लाते हैं
माहौल सुकून का बन जाता है
बारिश की बूंदे, ,,,,,,,,,
अपनों के साथ चाय की चुस्की
का स्वाद बढ़ जाता है
आसमान में नीले काले बादल छा जाते है
मोती जैसी बूंदें छम छम गिरती हैं
बारिश की बूंदे, ,,,,,,,,,
कभी धीमी,कभी तेज,
कभी फुहारे की तरह,
आसमान से जब गिरती हैं
मनमोहक दृश्य बन जाता है
बारिश की बूंदे, ,,,,,,,,,,,
तन बदन में ठंडक पड़ जाती है
जब मकान की छत पर चढ़कर
धीमी धीमी फुहारों में नहाने पर
मन को कितना सुकून देती हैं
बारिश की बूंदे, ,,,,,,,,,,
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