अब नहीं है सहना
आबरू के लिए है लड़ना
नहीं है किसी से डरना
शिक्षा को है पाना
आत्मनिर्भर हैं बनना
सपनों को है पूर्ण करना
हर क्षेत्र में है आगे रहना
सम्मान को नहीं है खोना
सबको यह है बतलाना
मातृशक्ति का है जमाना
रूढ़िवादी सोच को है बदलना
किसी के सामने नहीं है रोना
घुंघट से है निकलना
दहेज के बंधन को है तोड़ना
जग में नारी का सम्मान है कराना
गलत बात नहीं है सुनना
पलट कर अब तो है सुनाना
क्योंकि मातृशक्ति का है जमाना
आत्मविश्वास को है बढ़ाना
नई ऊंचाइयों को है छूना
चौका बर्तन रोटी से है निकलना
रेल हवाई जहाज को है दोडाना
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