2.sustainability of action:- the individual must be making efforts for a long duration to create a sustainable difference
क्षेत्र में लगातार गिरते भूमिगत जल स्तर को देखकर डॉ देवेंद्र कुमार नागर ने 2014 मैं अपने आप से बूंद बूंद पानी बचाने का सकारात्मक प्रयास किया उनको देखकर उनके घर के लोग भी पानी की कीमत को समझने लगे धीरे-धीरे डॉ देवेंद्र कुमार नागर आज पड़ोस के लोगों को भी लगातार गौतम बुध नगर में गिरते भूमिगत जल के स्तर पर चिंता व्यक्त करने लगे इसका प्रभाव यह रहा की आस पड़ोस के लोग भी पहले यदि उदाहरण के तौर पर नहाने मैं ही लगभग समरसेबल से 100 लीटर पानी की खपत करते थे वह भी अब डॉक्टर देवेंद्र कुमार नागर की प्रेरणा से में केवल बाल्टी और जग की सहायता से 10 लीटर पानी नहाने में खर्च करने लगे इससे डॉक्टर देवेंद्र कुमार नागर का हौसला इतना बड़ा की वह आसपास के गांव मैं जल चौपाल लगाकर लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने लगे लोग इसे जुड़ते गए और डॉक्टर देवेंद्र कुमार नागर गौतम बुध नगर के विद्यालयों और विश्वविद्यालय, सोसाइटी, कस्बा, नगर पालिका, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं तथा भूगर्भ जल विभाग गौतम बुद्ध नगर के सहयोग से जल चौपाल, रैली , पोस्टर प्रतियोगिता, के द्वारा बड़े स्तर पर नवयुवकों, बड़े बुजुर्गों तथा महिलाओं को साथ लेकर बहुत बड़े स्तर पर जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर बूंद बूंद पानी को संयोजित करने का प्रयास लगातार जारी है
गौतम बुध नगर के विद्यालयों तथा विश्वविद्यालय में बारिश के पानी को भूमि में रिचार्ज करने के लिए सोकता बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है इसमें काफी विद्यालय तथा विश्वविद्यालय रुचि भी दिख रहे हैं जिसका कारण कम खर्चे पर सोकता बन जाते हैं और बारिश का बूंद बूंद पानी नालियों में ने भाकर भूमि में पुनः रिचार्ज होकर भूमिगत जल स्तर को गिरने से बचाता है जिससे प्रेरित होकर विद्यालयों तथा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे घर पर भी सोकता का निर्माण कर बूंद बूंद पानी को पुणे भूमि में पहुंच कर भूमिगत जल को रिचार्ज करने का प्रयास कर रहे हैं
डॉ देवेंद्र कुमार नागर 2014 से ही लगातार विभिन्न संस्थाओं तथा गौतम बुद्ध नगर के वन विभाग के सहयोग से वृक्षारोपण का कार्य भी सुचारू रूप से कर रहे हैं प्रत्येक वर्ष जन सहयोग से लगभग 4000 पौधे रोपित किए जाते हैं यह पौधे धीरे-धीरे बड़े होकर भूमिगत जल स्तर को गिरने से बचा रहे हैं डॉ देवेंद्र कुमार नागर के द्वारा विद्यालयों, विश्वविद्यालय ,सोसाइटियों, नगर पंचायत मैं लोगों को वृक्षारोपण के प्रति बहुत बड़े स्तर पर जागरूक किया जा रहा है घर में किसी भी खुशी के मौके पर जैसे बच्चों के जन्म, बच्चों के द्वारा परीक्षा में उत्तीर्ण होने, विवाह ,बर्थडे ,एनिवर्सरी आदि में उपहार स्वरूप एक पौधा भेंट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिसका परिणाम यह है कि प्रत्येक वर्ष बहुत बड़े स्तर पर लोग पौधारोपण के लिए जागरूक होकर वृक्षारोपण करने का प्रयास कर रहे हैं
वर्ष 2018 में डॉ देवेंद्र कुमार नागर के दिमाग में एक आइडिया आया की पुस्तकों के निर्माण में लाखों करोड़ों लीटर पानी की खपत होती है इसे बचाने के लिए गौतम बुद्ध नगर क्षेत्र में लगभग पांच निशुल्क पुस्तक बैंक का शुभारंभ कराया गया क्योंकि क्षेत्र में प्रत्येक घर में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और उनके द्वारा पुस्तकों का प्रयोग किया जाता है इन पुस्तकों का बच्चे एक क्लास मैं उपयोग कर अगली वर्ष रद्दी वाले को चूर्ण के भाव में बेच देते थे अब ऐसा नहीं हो रहा है अब यह पुस्तक रद्दी में न जाकर निशुल्क पुस्तक बैंक में जन जागरूकता के द्वारा जमा करके बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि एक तीर से दो शिकार हो रहे हैं नंबर वन पुस्तकों के निर्माण में जो लाखों करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा था उसकी बचत हो रही है और दूसरा जो जरूरतमंद बच्चों पुस्तकों के अभाव में अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर रहे थे वह भी अपनी शिक्षा पूरी कर अपने सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं अब तक निशुल्क पुस्तक बैंक ने लगभग 13000 बच्चों को लगभग 60000 पुस्तक निशुल्क उपलब्ध कराई जा चुकी हैं निश्चित रूप से बहुत बड़े पैमाने पर जल संरक्षण करने में मदद मिल रही है
किसान संगठन,सामाजिक संस्थाओं, NGO, के साथ एम ओ यू करके एक बड़े स्तर पर बूंद बूंद पानी को बचाने के लिए जन भागीदारी से प्रयास किया जा रहे हैं
परंपरागत पोखर तथा तालाब जो वर्षा के पानी को भूमि में पहुंचने के अच्छे स्रोत होते थे जिन नगर पंचायत में वह खत्म कर दिए गए थे उन्हें दोबारा ग्राम प्रधानों तथा जन भागीदारी से दोबारा जिंदा किए जाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है जिसका परिणाम यह हो रहा है कि वर्षा का बूंद बूंद पानी इन परंपरागत तालाबों में पहुंचकर भूमि के गिरते जल स्तर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं
किसान संगठनों के साथ मिलकर डॉक्टर देवेंद्र कुमार नागर गौतम बुध नगर क्षेत्र के किसानों को ऐसी फसले उगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं जिन फसलों में पानी की आवश्यकता बहुत ही कम होती है जैसे बाजार, ज्वार ,लोबिया, चना, मटर, तिल, सरसों आदि फसलों को उगाने के लिए प्रेषित कर रहे हैं इसका प्रभाव इतना रहा है कि जो लोग अधिक पानी की खपत वाली फसल धन की उपज लेते थे वह अब बाजरे की फसल उगा रहे हैं इस वर्ष धान की तुलना में काफी किसानों ने बाजरे की बुवाई करके एक तरफ बहुत बड़ी मात्रा में पानी की खपत कम की है वही बाजरे की उपज लेने वाले किसानों ने धान की उपज लेने वाले किसानों की तुलना में आर्थिक रूप से भी अधिक फायदा हुआ है कम पानी की खपत वाली फैसले वर्तमान में किसान को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं और बड़े स्तर पर जल संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं
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